By Factshop
ऐ जीजा, इलाज तेरे इस दर्द का, मेरे तो क्या, पास किसी के नहीं, यूँ तो समाया है नस-नस में, दवा इसकी उस खुदा के पास भी नहीं।
हर किसी का दिल धड़कता है, देख कर साली को, दिल की बस यही तम्मना होती है काश ये होती दूसरी घरवाली,
तुम्हारी दीदी को हमने दूर किया, तुम्हें प्यार करने पर मजबूर किया, तुमसे मिलने पर दिल धड़कता है, दिल में प्यार का शोला भड़कता है
रे चाल है तेरी मतवाली, और आंखें हैं मद की प्याली, मैं बेहोश हुआ पीकर, आगोश में जब आई साली।
तुम खा लो भले प्लेटों में लेकिन थाली की और बात हैं तुम रहों फेकते भरे दाँव लेकिन खली की और बात हैं तुम मटके पर मटके पी लो लेकिन प्याली का और मजा पत्नी को हरदम रखो साथ लेकिन साली की और बात हैं!!!
हुस्न तो दिया ऐ खुदा तुमने हाय इस काली जुल्फों वाली को काश तुमने दिया होता दिल भी हमारी इस प्यारी सी साली को !!!
ओ मेरी प्यारी साली साहिबा, काश मैं तुम्हारा पिया होता.. तरसता हूं अब हमेशा काश, मैंने तुम्हें दिल दिया होता..!
साली – जीजा जी ससुराल में दामाद को सबसे ज्यादा सम्मान क्यों मिलता हैं? जीजा – क्योकि ससुराल के लोग जानते हैं यही वह महान आदमी हैं जिसने उनके “घर के तूफ़ान” को संभाल रखा हैं